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लेखनी प्रतियोगिता -04-Mar-2023। छोटी बहू V-S बडी़ बहू


                      छोटी बहू V/S  बडी़ बहू

           बडी़ बहू कमला को जब खबर मिली कि उसके सास व ससुर को उसकी देवरानी ने घर के अन्दर कैद कर दिया है। वह सबसे पहले  पुलिस स्टेशन पहुँची और वहाँ से पुलिस लेकर अपने पुराने घर पहुँचकर देखा कि उसके सास ससुर एक कमरे में बन्द है।

        पुलिस ने कमरे का ताला तोड़कर उनको आजाद किया। और जानकी व उसके पति कमलेश को गिरफ्तार करने लगी तब कमला ने ऐसा करने से मना कर दिया। और वह अपने सास ससुर को अपने छोटे से किराये के घर में लेआई।

     कमला ने घर लाकर उन दोनौ को भर पेट खाना खिलाया। कमला की सास उससे आँख मिलाने से भी शरमा रही थी क्यौकि उसकी सास ने एक दिन उस पर चोरी का इल्जाम लगाकर अपने घर से बाहर निकाल दिया था।

          जब कमला के पति विवेक ने कमला  की तरफदारी ली तो उस दिन उसकी माँ  साफ कहते हुए बोली," देख विवेक यदि तुझे अपनी बहू दूध की धुली हुई दिख रही है तो तू भी उसके साथ इस घर से बाहर निकलजा। मेरे लिए तुम दोनौ मरचुके हो। "

         विवेक उसी दिन उस घर को छोड़कर एक किराये के घर में आगया था। उसने एक छोटी सी नौकरी करली। कमला ने सिलाई का काम शुरू कर दिया ओर वह थोडी़ कमाई से अपना घर चलाने लगे थे
उस दिन से वह दोनौ अपनी दोनौ बेटियौ के साथ खुश थे।

                    शंकर लाल के दो बेटे थे विवेक व कमलेश  शंकरलाल की जनरल स्टोर की दुकान थी। विवेक अपने पिता का हाथ बटाता था और दसवी करने के बाद दुकान पर ही बैठने लगा़।

         उसी बीच विवेक की शादी कमला से होगयी।  कमला के माता पिता ने शादी में दहेज नही दिया था इससे विवेक की माँ अपनी बहू को ताने मारने लगी। लेकिन कमला ने कभी बुरा नही माना और न कभी लौटकर अपनी सास को जबाब दिया।

      कुछ समय बाद कमला गर्भवती होगयी कमला की सास को पोता चाहिए था। परन्तु कमला के बेटी होने से उसकी सास का गुस्सा और बढ़गया। अब वह बहू को परेशान करने लगी। विवेक भी इस बिषय मे अपनी मम्मी से कभी कुछ नहीं बोला।

      जब कमला के दूसरी बेटी का जन्म हुआ तबतो उसकी सास के क्रोध का पारा सातवे आसमान पर था।  शंकरलाल के छोटे बेटे कमलेश ने इन्जीनियरिंग की परीक्षा पास करते ही बिजली विभाग में नौकरी लग गयी और उसकी शादी में अच्छा दहेज मिला।

           अब छोटी बहू जानकी का उस घर में हुक्म चलने लगा क्यौकि वह बहुतसा दहेज जो लेकर आई थी। जबकि कमला की स्थिति एक नौकरानी से भी गिरी हुई होगयी। कमला ही घर का पूरा काम करती जबकि जानकी कुछ भी नही करती केवल अपनी जिठानी पर हुक्म चलाती थी।

          कुछ समय बाद जानकी ने एक सुन्दर से बेटे को जन्म और देदिया जिससे सोने पर सुहागा होगया। अब पोते के आजाने से सास जानकी की बहुत सेवा करती और पूरे घर फर उसका राज होगया। अब बडी़ बहू का दरजा नौकरानी का एवं छोटी बहू का दरजा महारानी का होगया।

              इसी दरिम्यान कमलेश एक रिश्वत के केस में सस्पैन्ड होगया।  और वह घर बैठ गया। अब वह भी दुकान पर ही बैठने लगा। कमलेश ने धीरे धीरे दुकान पर कब्जा करना शुरू करदिया। अब दुकान का सारा हिसिब किताब कमलेश देखने लगा। 

         विवेक की हैसियत भी एक नौकर जैसी होगयी। एक दिन छोटी बहूने अपनी सास की  सोने की माला चुराली और इल्जाम बडी़ बहू कमला पर लगा दिया जिससे उसकी सास ने नाराज होकर  बडी़ बहू को घर से निकाल दिया।जब विवेक ने मुंह खोला तब उसे भी बाहर का रास्ता दिखा दिया।

              इस तरह अब छोटी बहू का एकछत्र हुकम चलने लगा। कुछ समय बाद कमलेश ने शंकरलाल को यह कहकर घर बिठा दिया कि अब आपके आराम करने के दिन है।आप आराम करो।

          शंकर लाल को सिगरेट पीने की आदत थी छोटी बहू ने उनसे कहा," पापाजी यह बुरी आदत छोड़दो। अब आप कमाते नही हो। आपको एक पैकिट सिगरेट रोज चाहिए। आजसे आपकी सिगरेट बन्द  है। 

          इस तरह छोटे बेटे व बहू ने उनके खाने पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया ।अब उनको बडे़ बेटे व बहू की याद आने लगी लेकिन वह वहाँ शरम से जा नही सकते थे क्यौकि शंकरलाल की पत्नी ने बडी़ बहू को जब नौकरानी बधादिया था तब शंकरलाल कुछ नही बोल सके थे। अब उनको पछतावा होता था।

         जानकी उन दोनौ को एक कमरे में बन्द करके अपने मायके व सहेलियौ के साथ किट्टी पार्टी में मौज मस्ती करने चली जाती ती। वह दोनौ पति पत्नी भूखे प्यासे पडे़ रहते थे अब वह किसीसे शिकायत भी नही कर सकते थे क्यौकि मल्ती तो उन्होंनै ही की थी । अब सजा भी भुगत रहे थे।

     जब बडी़ बहू कमला को यह समाचार मिला तब वह अपने सास ससुर को घरलेकर आई। इसके लिए उसने अपने पति विवेक को भी नहीं पूछा था।

  जब शाम को विवेक घर मे अपने माता पिता को देखा वह बहुत खुश हुआ  । विवेक की बेटिया भी दादा दादी के आजाने से खुश थे। आज वह बेटिया उनकी सेवा करती थी जिन बेटियौ के जन्म पर उनकी दादी नेदुःख प्रगट किया था और कमला को बुरा भला कहा था।

        आज शंकरलाल व उनकी पत्नी बडी़ बहू की बढा़ई करते नहीं थक रही थी।

आज की दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना 
नरेश शर्मा " पचौरी "

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6 Comments

बेहतरीन

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kashish

05-Mar-2023 02:22 PM

nice

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Milind salve

05-Mar-2023 09:36 AM

बहुत खूब

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